दोस्तो आज की पोस्ट में हम एक बहुत ही प्रेरणादायी कहानी झील की तरह बन जाओ पढेंगे ,कहानी पढकर नीचे कमेंट में अपनी बात जरुर कहें
झील की तरह बन जाओ
एक बार एक नवयुवक किसी साधु के पास पहुंचा ।
“ गुरुदेव , मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं !” , युवक बोला ।
साधु ने कहा , “ पानी के गिलास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो ।”
युवक ने ऐसा ही किया ।
“ इसका स्वाद कैसा लगा ?”, साधु ने पुछा।
“ बहुत ही खराब … एकदम खारा .” – युवक थूकते हुए बोला .
साधु मुस्कुराते हुए बोले , “एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लेलो और मेरे पीछे -पीछे आओ ।“
दोनों धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए
“ चलो , अब इस नमक को पानी में डाल दो .” , साधु ने निर्देश दिया।
युवक ने ऐसा ही किया .
“ अब इस झील का पानी पियो .” , साधु बोले ।
युवक पानी पीने लगा …,
झील की तरह बन जाओ
एक बार फिर साधु ने पूछा ,: “ बताओ इसका स्वाद कैसा है , क्या अभी भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?”
“नहीं , ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है ”, युवक बोला .
साधु युवक के बगल में बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले , “ जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं ; न इससे कम ना ज्यादा ।
जीवन में दुःख की मात्रा वही रहती है , बिलकुल वही । लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं । इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को झील सा बड़ा कर लो …गिलास मत बने रहो ।
दुःख जीवन में अनवरत है, जब तक कि जीवन है । तो क्यों न हम हमारे मन को झील से बना ले सदैव के लिए । और चारो तरफ बाड़ लगा ले अच्छे दोस्तो और परिवारजनो की ।
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